ज़ी समाचार चैनल पर श्री सुभाष चंद्र का यह वक्तव्य कि 'ज़ी समाचार' असली समाचार की दुनिया में लौटेगा;भारतीय इलेक्ट्रोनिक समाचार जगत में सुखद बदलाव का संकेत माना जा सकता है । इस वक्तव्य को सुनकर मुझे अपने सम्मानित मित्र श्री दीपेंद्र बघेल का कथन याद आ गया । उपग्रह समाचार चैनलों की सामग्री और प्रस्तुतीकरण को लेकर रेडियो के एक टॉक शो के अंत में माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य श्री बघेल ने कहा था कि वर्तमान परिदृश्य को देखकर हमें निराश होने की आवश॒यकता नही है। यह समाचार चैनलों की शुरुआती अवस्था है। समय के साथ यह चैनल परिपक्व होंगे और तब स्तिथि शायद इतनी निराशाजनक न हो .वैसे अभी से खुश होना मूर्खता भी होगी। यह संकेत सिर्फ़ एक संकेत बनकर भी रह सकता है । यह नई समाचार टीम की 'लौन्चिंग' का स्टंट भी हो सकता है। क्या कोई समाचार चैनल रातों रात यूं अपना चोला बदल सकता है?इन प्रश्नों का उत्तर समय ही दे सकता है पर इतनी बात तो निश्चित है कि आत्मावलोकन हो रहा है। यह किसी हद तक स्वीकारोक्ति भी है कि समाचार चैनल असली समाचारों की दुनिया से भटककर एक ऐसी दुनिया में विचरण कर रहे हैं जो उनकी ख़ुद की बनाई मायावी दुनिया है.इस मायावी दुनिया में भूत प्रेत हैं ,नरपिशाच हैं ,नृत्य करते कंकाल हैं ,तो एंकर के रूप में महाकाल भी हैं। क्षत विक्षत शव हैं तो कपड़े उतारती चीयर गर्ल भी हैं.प्रचार की आतुर बॉलिवुड बालाएं हैं तो सेलेब बनाने के नए नए तरीके भी हैं.
3 comments:
hamko maloom hai jannat ki haqikat lekin,
dil ke khush rakhne ko ghalib ye khyal achcha hai !!!
insha allah sab thik ho jaye.....
darasal jab mein vaha internship par tha tabhi yah badlav ka process shuru ho gaya tha...........public bahut din yah sab jhel bhi nahi paati
राकेश भाई
अच्छी कविताऍ बेहतरीन तस्वीरें अच्छे विचारॊं के बाद भी आप अंधेरे में क्यॊं हैं बाहर आऍ कम से कम उजालॊं का साथ तॊ मिलेगा। मैं अकसर आपसे ब्लाग में मिलता हूँ अच्छा लगता है। एक बात का जवाब देना इतनी व्यस्तता के बाद भी जीने के लिए साँसें कहाँ से चुरा लाते हैं आप जवाब मिला तॊ १५ किलॊमीटर का सफर कर आपके पास चाय पीने आऊँगा विश्वास रखें।
डा महेश परिमल
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